Cricket Ka Baap: भारतीय क्रिकेट के 6 खिलाड़ी जिन्होंने Cricket की परिभाषा बदल दी

Cricket Ka Baap: भारतीय क्रिकेट के 6 खिलाड़ी जिन्होंने Cricket की परिभाषा बदल दी

Cricket Ka Baap: भारत में Cricket सिर्फ एक खेल नहीं धर्म है। भारत में Cricket को जो स्थान प्राप्त है वो शायद ही किसी और देश में हो।

Cricket के लिए ऐसी दीवानगी बस भारत में ही देखी जा सकती है और ये दीवानगी हो भी क्यों ना जब भारत ने Cricket को कई ऐसे दिग्गज खिलाड़ी दिए हैं जिन्होंने अपने शानदार प्रदर्शन से दर्शकों का दिल जीत लिया है।

तो चलिए आज के इस लेख में हम आपको भारत के 6 ऐसे खिलाड़ी से रूबरू करवाते हैं जिनका लोहा पूरी दुनिया ने माना है।

Cricket Ka Baap

1. लाला अमरनाथ

घड़ी की सुई को काफी पीछे लेकर चलते हैं और वहीं से शुरुआत करते हैं। जिस खिलाड़ी के बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं, उनका नाम है लाला अमरनाथ। इनका नाम शायद ही कोई जानता होगा। लाला अमरनाथ भारत के पहले ऑलराउंडर खिलाड़ी थे।

लाला अमरनाथ भारत के पहले ऐसे खिलाड़ी थे जिन्होंने International Cricket में शतक जड़ा था। साल 1991 में उन्हें पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। लाला अमरनाथ अब हमारे बीच नहीं है। दिल्ली में 5 अगस्त 2000 को उनका निधन हुआ था।

कपिल देव

भारत में जब Cricket की शुरुआत हुई थी तब ये उस समय उतना लोकप्रिय नहीं था। ऐसा कहा जाता है कि भारत में Cricket को लोकप्रिय बनाने का काम कपिल देव ने किया था। कपिल देव भारत के अब तक के सबसे सफल ऑलराउंडर खिलाड़ी हैं जिनकी कप्तानी में भारत ने पहली बार विश्व कप जीता था।

साल 1983 के विश्व कप में कपिल देव की सेमीफाइनल में वेस्टइंडीज के खिलाफ खेली गई 175 रन की पारी हमेशा याद की जाती है। 1983 का विश्व कप जीतने के बाद ही Cricket भारत में अधिक लोकप्रिय होना शुरू हुआ था aur Kapil Dev bane cricket ka baap।

सुनील गावस्कर

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भारतीय क्रिकेट के इतिहास में सुनील गावस्कर जैसे बल्लेबाज को ढूंढना बहुत मुश्किल है। उस जमाने में वेस्टइंडीज जैसी टीम के सामने बिना हेलमेट के खेलना और गेंदबाजों के छक्के छुड़ा देना, हर किसी के बस की बात नहीं है। हालांकि, आज की वेस्टइंडीज और पहले की वेस्टइंडीज की टीम में बहुत फर्क भी है।

सुनील गावस्कर टीम इंडिया के सबसे पहले स्टार खिलाड़ी रह चुके हैं। साल 1975 में उन्हें अर्जुन पुरस्कार दिया गया और 1980 में इनको विस्डम क्रिकेट अवार्ड से सम्मानित किया गया।

सचिन तेंदुलकर

बात क्रिकेट के खिलाड़ियों की हो और उसमें हम क्रिकेट के भगवान सचिन तेंदुलकर का जिक्र ना करें ऐसा हो नहीं सकता है। कहते हैं भारत मे क्रिकेट एक धर्म है और सचिन तेंदुलकर उसके भगवान। मास्टर ब्लास्टर Sachin Tendulkar को यूं ही cricket ka baap नहीं कहा जाता है।

सचिन तेंदुलकर के नाम एक नहीं, दो नहीं, तीन नहीं, बल्कि अनेकों रिकॉर्ड दर्ज हैं। फिर चाहे वो International Cricket में पहली बार दोहरा शतक जड़ने, इंटरनेशनल क्रिकेट में 100 शतक लगना या 200 टेस्ट मैच खेलना। अपनी दमदार पारी से और अपने क्रिकेटींग शॉट्स से तेंदुलकर ने विरोधी टीम की जमकर खबर ली है।

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खास बात ये है कि सचिन एक ऐसे खिलाड़ी थे, जिनका लोहा विरोधी टीम के खिलाड़ी भी मानते थे और सम्मान भी देते थे। सचिन तेंदुलकर एकलौते ऐसे खिलाड़ी हैं जिन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया है।

महेंद्र सिंह धोनी

कैप्टन कूल के नाम से मशहूर Mahendra Singh Dhoni भारतीय क्रिकेट के एक ऐसे खिलाड़ी थे जिन्होंने भारत को दूसरी बार विश्व विजेता बनाया।

महेंद्र सिंह धोनी भारतीय क्रिकेट टीम के पहले ऐसे कप्तान हैं जिनकी कप्तानी में टीम इंडिया ने आईसीसी के सभी टूर्नामेंट के ऊपर कब्जा किया। साल 2007 में t20 विश्व कप, 2011 में विश्व कप और 2013 में चैंपियंस ट्रॉफी टीम इंडिया इन्हीं की कप्तानी में जीती है। विकेट के पीछे बिजली से भी तेज हाथ चलाने वाले धोनी का दिमाग थर्ड अंपायर से भी तेज चलता है। तभी तो कहते हैं, Dhoni है तो मुमकिन है।

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वीरेंद्र सहवाग

क्रिकेट में तीन फॉर्मेट होते हैं, टेस्ट, वनडे और टी20 और इन तीनों फॉर्मेट में खेलने का तरीका थोड़ा अलग होता है लेकिन वीरेंद्र सहवाग भारत के ऐसे खिलाड़ी थे जो देखते ही नहीं थे कि ये टेस्ट है, वनडे है या टी20। सहवाग को हर फॉर्मेट में सिर्फ गेंद दिखती थी, अगर गेंद उनके पास आती है तो उनका काम है उसे बाउंड्री के बाहर भेजना। सहवाग ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में खेलने की परिभाषा ही बदल दी।

सहवाग भारतीय क्रिकेट के एकमात्र ऐसे खिलाड़ी थे जिन्होंने टेस्ट क्रिकेट में पहली बार तिहरा शतक जड़ा था। सहवाग ने टेस्ट क्रिकेट में एक नहीं बल्कि दो तिहरे शतक जड़े हैं। अपनी इसी ताबड़तोड़ बल्लेबाजी की वजह से विरोधी टीम के गेंदबाज सहवाग से खौफ खाते थे। सहवाग मैच मे रन बनाए या ना बनाए लेकिन टीम में सहवाग का होना ही विरोधी टीम को सिरदर्द देना काफी था।

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