Achi Zindagi Jeene Ke Tarike: Paani, हवा, नींद, सांसे, शांति Ka Mahatva

Achi Zindagi Jeene Ke Tarike: Paani, हवा, नींद, सांसे, शांति Ka Mahatva

हवा, नींद, सांसे, शांति, paani इनकी कोई मौद्रिक कीमत नहीं है par ek achi zindagi jeene ke tarike mein inhi ka mahatva sabse zyada hai

लेकिन जीवन में इससे कीमती कोई वस्तु नहीं है, और न ही इसका कोई दूसरा विकल्प है, जो इन की जगह लें सके।

जिंदगी में इनकी वरीयता हमारे लिए सबसे प्रथम होनी चाहिए। लेकिन इनकी मौद्रिक कीमत या तो ना के बराबर है, या बिल्कुल नि :शुल्क है । इसलिए हमने इनकी तरफ बिल्कुल ध्यान नहीं दिया।

इस कोरोना काल में हमें पता चला, कि हमारी सांसे, हमारे लिए कितनी कीमती है। जिसके लिए हम दर-दर भटके हैं, फिर भी हमने अपने प्रिय जनों को खो दिया। यदि अभी भी हम नहीं समझे,तो कभी नहीं समझ सकते।
हवा है -तो सांसे हैं। पानी है- तो जिंदगी है शांति है- तो नींद है।

Achi Zindagi Jeene Ke Tarike: जीवन का आधार वायु

वायु को शुद्ध करने में पेड़ पौधे महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। सूर्य के प्रकाश में पौधों का हरा भाग जिसे क्लोरोफिल कहते हैं, कार्बन डाइऑक्साइड गैस और पानी की रासायनिक अभिक्रिया द्वारा मंड और ऑक्सीजन गैस का निर्माण करता है। पेड़ -पौधों कि इस प्रक्रिया से वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड और ऑक्सीजन की मात्रा में संतुलन बना रहता है।

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वृक्ष हमारे वातावरण की रक्षा का सबसे महत्वपूर्ण कवच है बढ़ती हुई जनसंख्या की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए अधिक भूमि की आवश्यकता पड़ती है। जिसके लिए हम बिना सोचे समझे वनों को काटते जा रहे हैं, इसका परिणाम यह हुआ कि प्राकृतिक असंतुलन के कारण मौसम चक्र बदल गया और जिसके फलस्वरूप कहीं भयंकर सूखा पड़ता है, तो कहीं बाढ़ के भीषण प्रकोप से जनधन की हानि होती है।

इसलिए शुद्ध साफ हवा के लिए हमें अधिक से अधिक पेड़ पौधे लगाने चाहिए और इनकी जानवरों से रक्षा भी करनी चाहिए। पेड़ पौधे ना सिर्फ वायु को शुद्ध करते हैं, बल्कि शोर- प्रदूषण भी कम करते हैं।

Paani Ka Mahatva: पानी रे पानी

जल हमारे लिए एक अति आवश्यक एवं उपयोगी पदार्थ है। जिसके बिना जीना असंभव है। अज्ञानतावश हम दूषित जल को पीने के लिए प्रयोग में लाते हैं जिसके कारण हमें अनेक रोग हो जाते हैं।

जन चेतना के अभियान के द्वारा हमें स्वच्छ पेयजल की आवश्यकता पर बल देना चाहिए| पानी का संचय करना चाहिए, क्योंकि आने वाले समय में पानी की कमी होती जा रही है, हम बूंद बूंद के लिए तरसेंगे, इसलिए समय रहते हुए हमें पानी संचय को बढ़ाना चाहिए।

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संतोष रूपी धन

मनुष्य की ईर्ष्या, लालसा और कामना कभी संतुष्ट नहीं होती । यदि मनुष्य जब तक संतोष रूपी धन को प्राप्त नहीं कर लेता, तब तक मनुष्य नैतिक मूल्यों को ताक पर रखकर, गलत काम करता है।व्यक्ति को जाने- अनजाने में ,अन्य व्यक्ति को कष्ट पहुंचाने की कोशिश करनी चाहिए।

जब मनुष्य के अंदर संतोष रूपी धन आ जाता है,तो सारी इच्छाएं और लोभ स्वयंमेव समाप्त हो जाता है।
संतोष आने से ऐसी आनंदमयी दशा हो जाती है, जिसमें न ईर्ष्या होती है,न द्वेष होता है, न असंतोष होता है,न अशांति होती है, न लोभ होता है, न लालच, जीवन बस सुखी, संतुष्ट, चिंता रहित और आनंद से भरपूर हो जाता है, और फिर उस व्यक्ति को नींद की कोई कठिनाई नहीं होती ।

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