Hockey Ka Itihaas: हॉकी ही क्यों बना भारत का राष्ट्रीय खेल

Hockey Ka Itihaas: हॉकी ही क्यों बना भारत का राष्ट्रीय खेल

Hockey Ka Itihaas: वैसे तो हॉकी के खेल का आरंभ आज से 4000 वर्ष पूर्व ईरान में हुआ था। हॉकी का श्रीगणेश कितने ही देशों में हुआ। पर हॉकी को उचित सम्मान भारत में ही मिला।

जिसका श्रेय मेजर ध्यानचंद जी को जाता है। हमारे देश में हॉकी के आरंभ का इतिहास 100 वर्ष से भी कम है। परंतु यह खेल हमारे देश में विभिन्न भाषाओं में तरह-तरह के नाम से खेला जाता था। पंजाब के गांव में खद् दी – खुणडी खेल इसी का एक रूप है। विभिन्न रूपों में खेले जाने के कारण इसके नियम भी भिन्न-भिन्न थे।

परंतु पहले खिलाड़ियों में किसी प्रकार की कोई प्रतिबंध या नियम नहीं माने जाते थे।

Hockey Ka Itihaas: भारत में हॉकी का इतिहास।

हमारे देश में यह खेल नियमित रूप से सबसे पहले कोलकाता में खेला गया था। हमारी टीम का संगठन सर्वप्रथम यही हुआ। फिर हॉकी का प्रचलन देश के कोने कोने में हुआ।

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ओलंपिक खेलों में भारत का स्थान।

26 मई सन् 1928 ईस्वी में भारतीय हॉकी टीम पहली बार ओलंपिक खेलों में सम्मिलित हुई और विजय हुई। सन् 1932 में भारतीय टीम ने अमेरिकी खिलाड़ियों को एक के विरुद्ध 24 गोलो से हराया था। जिसका श्रेय भी टीम के कप्तान श्री ध्यानचंद जी को जाता है। 1960 और 1968 को छोड़ दिया जाए तो।

हमारी टीम हमेशा कुछ ना कुछ जीती है। 1962 के कांस्य पदक और 1980 में स्वर्ण पदक प्राप्त करके भारतीय खिलाड़ियों ने भारत का नाम एक बार फिर ऊंचा किया। इससे हॉकी में भारत का स्थान व सम्मान पहले जैसा हो गया।

खेल के नियमों के अनुसार इस खेल में 2 टीमें होती हैं। और एक टीम में 11 खिलाड़ी होते हैं। गोल के सामने अर्ध गोलाकार रेखाएं खींची होती हैं। गेंद का उसमें जाकर चोट करके ही गोल किया जाता है। गेंद को गोल में पहुंचाने के लिए हिट मारा जाता है। एक नियम यह भी है किसी कोने से चोट के बाद गोल में पहुंचने से पूर्व किसी भी पक्ष द्वारा गेंद को स्पर्श करना आवश्यक है।

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Hockey Ke Bare Mein: स्वास्थ्य की दृष्टि से हॉकी खेल के लाभ।

हॉकी के खेल में आत्मानुशासन और पारस्परिक रूप से कार्य करने की प्रेरणा मिलती है। हॉकी खेलने से आनंद की प्राप्ति होती है। खेलने और देखने वाले दोनों पक्षों को। परंतु खिलाड़ी के शरीर में सारे चुस्ती और मानसिक पूर्ति की आवश्यकता होती है। भारतीय हॉकी खिलाड़ियों ने विश्व में भारत का नाम उज्जवल किया है। हॉकी को अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त हो चुकी है जिसका श्रेय श्री ध्यानचंद जी को जाता है।

हॉकी का दुर्भाग्य।

आजकल जितना पसंद क्रिकेट को किया जाता है। उतना और किसी खेल को नहीं किया जाता। उनमें से एक खेल हॉकी भी है। सड़कों पर, मैदानों में सभी जगह क्रिकेट खेलते हुए आप को सब लोग मिलेंगे। परंतु हॉकी खेलता हुआ कोई नहीं दिखेगा।

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