Swasthya In Hindi: ” जैसे खाएंगे अन्न वैसे बनेगा मन ” यह कहावत बिल्कुल सही है क्योंकि जिस प्रकार का भोजन खाएंगे, उसी प्रकार भोजन हमारे स्वास्थ्य पर प्रभाव डालता है
बिना अतिरिक्त खर्च किए बिना, उसी भोजन को अधिक पौष्टिक कैसे बना सकते हैं, यह प्रश्न सभी के मन में आता होगा।
Health Tips In Hindi: Swasthya In Hindi
इसके लिए खाना बनाने के लिए तीन विधियों का प्रयोग करना चाहिए जिसके द्वारा, उसी भोजन की पौष्टिकता बढ़ा सकते हैं ।
1. अंकुरण
2. *खमीरीकरण
3. विभिन्न खाद्य पदार्थों को उचित मात्रा में मिला जुला कर प्रयोग करना
इन विधियों को प्रयोग में लाने से हमें निम्नलिखित लाभ होते हैं।
1. विटामिन “बी” और विटामिन “सी” की मात्रा बहुत बढ़ जाती है।
2. खनिज लवण “लोहे” की मात्रा बढ़ जाती है।
3. खाद्य पदार्थ अधिक पंचनशील हो जाता है।
4. खाद्य पदार्थ पकाने में समय कम लगता है।
5. खाद्य पदार्थ अधिक स्वादिष्ट हो जाता है।
6. प्रोटीन की मात्रा बढ़ जाती है।
अंकुरण
अनाज व साबुत दाल जैसे मूंग, मोठ, चना, सोयाबीन इनका प्रयोग करने से पहले हमें इन्हें 24 से 48 घंटे पहले भिगो देना चाहिए और इनमें से अंकुरण( baby plants)निकल जाए तो इन्हें प्रयोग में लाना चाहिए।
अंकुरित किए हुए अनाज से चाट,खिचड़ी, खीर, परांठा , रायता आदि बना सकते हैं।
खमीरीकरण
खाद्य पदार्थ को साफ करके स्वच्छ पानी में भिगोकर उसे पीसकर खमीर उत्पन्न होने के लिए रख देते हैं।
खमीर उठाने के लिए दही या बाजार में उपलब्ध खमीर का प्रयोग कर सकते हैं। गर्मियों में सर्दी की अपेक्षा खमीर जल्दी उत्पन्न होता है।
खमीरीकरण विधि द्वारा डोसा, इडली, कुलचा, डबलरोटी, ढोकला आदि बनाए जा सकते हैं।
विभिन्न खाद्य पदार्थों को उचित मात्रा में मिलाजुला पर प्रयोग करना
जब भी कोई सब्जी, दाल बनाते हैं, तो कोई भी अकेली (single )दाल या सब्जी नहीं बनानी चाहिए।
दो या तीन दालों को और तीन, चार सब्जियों को मिलाकर प्रयोग करना चाहिए इससे सभी पौष्टिक तत्व प्राप्त होंगे।
रोटी बनाते समय भी सिर्फ गेहूं की रोटी नहीं बनानी चाहिए।
गेहूं में चना और सोयाबीन (मिक्स) मिलवा लेना चाहिए।
Swasthya In Hindi: बच्चों को शारीरिक और मानसिक रूप से तैयार करना
बिना अतिरिक्त खर्च किए हुए बच्चों को पौष्टिक खाना दे सकते हैं। जिसके द्वारा बच्चा शारीरिक रूप से तैयार हो जाएगा और वह किसी भी खेलकूद या प्रतियोगिता में भाग लेगा तो वह मानसिक रूप से भी तैयार होगा क्योंकि जो भोजन उपलब्ध करा रहे हैं( उपरोक्त विधियों द्वारा) उसमें सभी पौष्टिक तत्व उपलब्ध होंगे।
इससे बच्चे की इम्यूनिटी पावर अर्थात रोगों से लड़ने की क्षमता भी बढ़ेगी।