Tokyo Paralympics के 5वें दिन Vinod Kumar ने Bronze Medal जीतकर ना सिर्फ अपने सर्वश्रेष्ठ थ्रो के रिकॉर्ड तोड़ा, jaaniye unki biography in Hindi
बता दें कि 41 वर्षीय Vinod Kumar ने F52 वर्ग में 19.91 मीटर का थ्रो करते हुए ब्रॉन्ज मेडल हासिल किया है। हालांकि, यह बात किसी को नहीं मालूम होगी कि Vinod Kumar का पैरालंपिक्स का सफर इतना आसान नहीं था। देश के लिए बॉर्डर पर रक्षा करने से लेकर रालंपिक्स में देश का प्रतिनिधित्व करने तक Vinod Kumar को काफी संगर्ष का समाना करना पड़ा है। तो चलिए एक नजर डालते हैं Vinod Kumar के करियर पर।
Vinod Kumar Paralympics Biography In Hindi: किराने की दुकान चलाते थे विनोद
साल 2012 में जब Vinod Kumar 32 साल के थे तब उनका जीवन काफी मुश्किलों से चल रहा था। राजीव गांधी स्पोर्टस कॉम्पलेक्स के पास उनकी छोटी सी एक किराने की दुकान थी। अपने दुकान से वो खिलाड़ियों को कड़ी मेहनत करते हुए देखते थे। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर Vinod Kumar ने भी कभी भारत को रिप्रजेंट करने का सपना देखा था लेकिन 2002 में उन्हें रीढ़ की हड्डी में चोट लग गई थी जिसके कारण उनके कमर से नीचे के हिस्से का भाग पैरालाइज हो गया था।
अपनी दुकान से विनोद बड़ी मुश्किल से अपना और अपनी पत्नी का खर्चा निकाल पा रहे थे। इस दौरान Vinod Kumar ने पैरा स्पोर्टस के बारे में जानकारी इकट्ठा की लेकिन जब उन्हें इसके खर्चे के बारे में पता चला तो उन्होंने अपने सपने का गला घोटना ही सही समझा।
कैसे बदली विनोद की सोच ?
Vinod Kumar की सोच साल 2016 में रियो पैरालंपिक में के दौरान बदली जब दीपा मलिका रियो पैरालंपिक में देश के लिए पदक जीतने वाली पहली महिला खिलाड़ी बनीं और यही से Vinod Kumar को प्रेरणा मिली। इस बात का खुलासा खुद विनोद ने एक इंटरव्यू के दौरान किया था।
विनोद का सफर
पहले तो Vinod Kumar ने ट्रेनिंग शुरू की और जयपुर में अगले साल होने वाली नेशनल चैम्पियनशिप में भाग लिया जिसमें उन्होंने ब्रॉन्ज मेडल को अपने नाम किया। इसके बाद 2018 में उन्होंने इस कारनामे को एक बार फिर से दोहराया।
उनके इस प्रदर्शन से खुश होकर कोच सत्यनारायण 2019 में विनोद को पेरिस लेकर गए जहां पर अंतर्राष्ट्रीय पैरालंपिक कमिटी ने उन्हें अगले 2 सालों के लिये T/F52 वर्ग में शामिल किया। इसके बाद 2019 में दुबई में खेले गए विश्व पैरा एथलेटिक्स चैम्पियनशिप में Vinod Kumar ने चौथे स्थान पर रहते हुए टोक्यो पैरालंपिक्स का टिकट हासिल किया।
हर कदम पर मिला पत्नी का साथ
आपको बता दें, Vinod Kumar बीएसएफ के जवान भी रह चुके हैं लेकिन उनके साथ हुई एक दुर्घटना की वजह से उनकी रीढ़ की हड्डी में चोट आयी और वो पैरालाइज हो गये। हालांकि, इसके बाद का सफर उनके लिए आसान नहीं था। अगले दस साल तक के लिए उनका सफर बहुत मुश्किल से गुजरा क्योंकि वो बिस्तर से उठ भी नहीं पाते थे। इलाज की वजह से उनके घर की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी।
2012 में पारिवारिक बंधन में बंधने के बाद उनकी दो बेटियां हुई लेकिन इसके बाद भी उनकी पत्नी ने उनका साथ नहीं छोड़ा। जब वो ट्रेनिंग करते थे तो उनकी पत्नी दुकान संभालती थी। इसके साथ ही वो
कोरोना वायरस की चपेट में भी आ गए थे जिसके बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती होना पड़ा था लेकिन उन्होंने कोरोना को हराकर, सेट बैक का जवाब कम बैक से दिया।