यह हमारा मन ही है जो हमें हताश करता है,और हमारा मनोबल गिराता है।हम अपने मन के कारण ही बाजी को हार जाते हैं इसलिए कहा गया है | Man Ke Haare Haar Man Ke Jeete Jeet Kahani.
रमेश का क्रिकेट की राज्य स्तर टीम में चयन न होने के, कारण 4 घंटे से अपने बिस्तर पर हताश होकर पड़ा था,कभी उसे अपने खेलने पर और कभी उसे चयन समिति के ऊपर क्रोध आ रहा था।
रह -रह कर उसका मन बेचैन होता जा रहा था। क्या रमेश का हताश होना ठीक है? कदापि नहीं |
हम सब ने देखा है जब चींटी दाना लेकर दीवार पर चढ़ती है,तो वह बार बार गिरती है, लेकिन चींटी चढ़ना नहीं छोड़ती और न ही हताश, होकर दाना छोड़ती है। फिर हम क्यों हताश होते हैं |
यह हमारा मन ही है जो हमें हताश करता है,और हमारा मनोबल गिराता है। हम अपने मन के कारण ही बाजी को हार जाते हैं इसलिए कहा गया है |
Man Ke Haare Haar Man Ke Jeete Jeet Kahani
मन हमारे भीतर की शक्ति है,जो इन्द्रियो एवं मस्तिष्क…के द्वारा देखता है,सुनता है,सुघता है,स्वाद लेता है तथा स्पर्श की अनुभुति करता है ।
मन ही शरीर को सुख-दुख का अनुभव कराता है।
व्यक्ति जब बेहोशी की अवस्था में होता है तब मन का संपर्क शरीर से टुट जाता है इस कारण बेहोशी में ऑपरेशन करने पर दर्द महसुस नहीं होता है।
मन,मस्तिष्क नहीं है
कई लोग मस्तिष्क को ही मन समझ लेते है वह गलत है मस्तिष्क एक कम्पयूटर की तरह का उपकरण है। जिसके द्वारा मन शरीर पर नियंत्रण रखता है। अर्थात मस्तिष्क शरीर व मन को जोड़ने का कार्य करता है।
मनुष्य के जीवन में आशा-निराशा,सफलता-असफलता, हानि-लाभ, जय-पराजय आते रहते हैं।इन सब में भी कहीं -न-कहीं मानव मन की दुर्बलता-सफलता, उत्साह-अनुत्साह, दृढ़ता-कायरता का योगदान अवश्य रहता है।
करत -करत अभ्यास के,जड़मति होत
सुजान।रसरी आवत जात ते, सिल पर परत निशान।।
जीवन में उन्नति करने के लिए अनेक गुणों की आवश्यकता पड़ती है। लगातार परिश्रम करने से व्यक्ति कहां का कहां पहुंच जाता है, अभ्यास और परिश्रम के प्रभाव से मूर्ख भी बुद्धिमान तथा शक्तिहीन भी शक्तिशाली बन जाते हैं।
मन सागर मन सा लहर बूड़े बहे अनेक।
कहै कबीर, जिनके हृदय विवेक।।
मनुष्य का मन बहुत चंचल होता है, उसमें अनेक प्रकार की इच्छाएं उठती रहती हैं,
जिनका कोई अंत नहीं,व्यक्ति की एक इच्छा पूरी होती है दूसरे का जन्म हो जाता है
और इसी प्रकार इच्छाओं का सिलसिला जारी रहता है ।
रहिमन मनहि लगाईके, देखि लेहू किन कोय।
नर को बस
करिबो,कहा नारायण वश होय। ।
मन की शक्ति कुछ इस प्रकार की है
उस के बल पर व्यक्ति भगवान तक को अपने वश में कर कर सकता है।
आखिर कब तक ?
सभी सोचें, आखिर कब तक? कभी तो सुबह आएगी। कभी भी रात बहुत लंबी नहीं होती, रात के बाद सवेरा अवश्य ही आता है।इस कोराेना काल समय में हमने बहुत से अपनों को खोया है,
लेकिन फिर भी हमें अपने मन को दुर्बल, नहीं होने देना है।
यह समय भी बीत जाएगा, जैस सूर्यास्त के बाद सूर्यादय होता है।
जिसने अपने मन को जीत लिया,उसने सारे संसार पर विजय प्राप्त कर ली।
मनुष्य के लिए संसार में कुछ भी असंभव नहीं है,
निराशा और उदासी को अपने पास फटकने न दे,
सदा याद रखे मन के हारे हार है,मन के जीते जीत।
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