शब्दों के बाण लौट कर वापिस नहीं आते, उनका प्रभाव होकर ही रहता है aur madhur vachan ka mahatva bohot hai।
तलवार का घाव एक बार भर सकता है, लेकिन कटु वचन का घाव जिंदगी भर नहीं भरता। इसीलिए मनुष्य को बहुत सोच समझकर बोलना चाहिए।
मीठे वचन हमेशा औषधि का काम करते हैं, और घायल मन पर मधुर लेप करते हैं।
जैसे कौए की कांव-कांव सुनकर सब उसे पत्थर मारते हैं,और कोयल की मीठी वाणी सुनकर सब लोगों का मन खुश होता है।
Madhur Vachan Ka Mahatva: वाणी, वरदान व अभिशाप
सोच समझ कर बोली गई, वाणी अपने तथा दूसरों के लिए वरदान बन जाती है, कटु वचन अपने लिए भी, और दूसरों के लिए भी अभिशाप बन जाती है।
अंधे की संतान अंधी- द्रौपदी द्वारा बोले गए शब्द दुर्योधन के प्रति ही महाभारत के भयंकर युद्ध का कारण बने।
ऐसी वाणी बोलिये, मन का आपा खोय।
औरन को शीतल करै,आपहुँशीतल होय॥
कबीरदास जी कहते हैं मधुरता से सुवचन बोलने से जीवन का सच्चा सुख मिलता है।अंहकार, क्रोध और आवेश में कटु वाणी बोल कर हम अपनी वाणी को तो दूषित करते ही हैं,साथ में सामने वाले को कष्ट पहुंचाकर अपने लिए पाप भी बटोरते हैं।
बोया पेड़ बबूल का आम कहाँ से खाय
जब हम बबूल का पेड़ लगाएगें,जिसमें कांटे और गोंद होता है।तो आम कहां से प्राप्त होंगे। आम तो आम के पेड़ से ही प्राप्त होंगा। यदि हम चाहते हैं कि आम मिल सकें तब हमें आम का पौधा ही लगाना होगा।
अगर हम चाहते हैं, कि सभी व्यक्ति हमारे साथ दोस्ताना व्यवहार रखें, तो हमें सब के साथ मधुर वाणी और सोच समझ कर शब्दोे का प्रयोग करना चाहिए।
इस समय करोना ही बहुत है, जो कि हमारे लिए तलवार का काम कर रहा है। इसलिए हमें आपस में प्रेम,भाईचारा, मीठी वाणी का प्रयोग, सामाजिक दूरी का पालन करते हुए करना चाहिए। जिससे सभी इस स्थिति से अपने को संभाल ले।
कुछ भी स्थायी नहीं है
परिस्थितियां चाहे कितनी भी खराब हों, फ़िर भी हमेशा मीठी वाणी ही दूसरों के लिए औषधि का काम करेंगी। सच्चा सुख, मधुर वाणी व्यक्ति के विकास के लिए भाषा के साथ-साथ वाणी की मधुरता भी उतनी ही आवश्यक है। जैसे खीर में चीनी की, ईश्वर ने हमें धरती पर प्रेम फ़ैलाने के लिए भेजा है, प्रेम /स्नेह बाँटने से बढ़ता है|
प्रेम बाँटने की पहली सीढ़ी है, मीठी वाणी, सच्चा सुख केवल प्रेम बांटने से ही मिलता है। यदि हम किसी की सहायता नहीं कर सकते, तो हमें कोई हक नहीं, कि हम उसे “कटु वचन बोले “|
शरीर में कोई सुंदरता नहीं होती, सुंदर होते हैं व्यक्ति के कर्म, उसके द्वारा प्रयोग किए गए शब्द, तथा उस की वाणी।
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