Kabaddi Ka Itihas: प्राचीन काल से ही मनुष्य का खेल से काफी गहरा रिश्ता रहा है। अलग अलग जगहों पर और विभिन्न मौकों पर हर खेल को खेला जाता है।
कोई मनोरंजन के लिए खेलता है और कोई शारिरिक क्षमताओं को विकसित करने के लिए खेलता है।
भारत में खेल के प्रति लोगों की दीवानगी काफी है। यहां कई खेलों को पसंद किया जाता है। हालांकि, भारत में सबसे ज्यादा पसंद को किया जाता है लेकिन पिछले कुछ सालों में Kabaddi भी लोगों के बीच काफी लोकप्रिय हुआ है।
Kabaddi का खेल हर किसी के दिलों पर छाया हुआ है। लाइन की पर करना और फिर सामने वाली टीम को चुनौती देकर आना, ये सिर्फ Kabaddi में ही हो सकता है। आज के इस लेख में हम Kabaddi के इतिहास के बारे में बात करेंगे।
Kabaddi Ka Itihas: कुछ ऐसा है कबड्डी का इतिहास
Kabaddi की शुरुआत कब हुई थी, इसकी कोई ठोस जानकारी नहीं है लेकिन ऐसा कहा जाता है कि इस खेल की शुरआत 5000 से 7000 के पूर्व भारत में हुई थी। इस खेल की शुरुआत दक्षिण भारत से हुई थी। Kabaddi का शाब्दिक अर्थ काई पीडी से मिलकर बना है ! ये दो शब्द जिसका अर्थ होता है,” हाथ पकड़ना”।
अलग अलग जगहों पर अलग अलग नामों से जाना जाता है कबड्डी
दक्षिण भारत में Kabaddi को चेडूगुडू,पश्चिम भारत मे हू-तू-तू,पूर्वी भारत में हु डू डू और उत्तर भारत में इसे Kabaddi के नाम से जाना जाता है ! भारत के आलवा नेपाल, श्री लंका, बंगलादेश, पाकिस्तान, जापान और ईरान में भी ये खेल काफी मशहूर है। इस खेल को लेकर ये कहा जाता है कि Kabaddi की शुरुआत 4000 वर्ष पूर्व सैनिकों के अंदर प्रतिरक्षा कौशल को विकसित करने ,आक्रमण करने,काउंटर अटैक से बचाव करने के लिए किया गया था।
कब मिली इस खेल को पहचान
Kabaddi को साल 1918 ने राष्ट्रीय स्तर का दर्जा मिला था जिसमें महाराष्ट्र की शाम भूमिका रही थी।
साल 1954 में पहली बार Kabaddi की राष्ट्रीय चैंपियन शिप आयोजित की गयी। इसके साथ ही इस खेल को सबसे पहले 1936 में ओलम्पिक में शामिल किया गया ।
वहीं, 1980 में इस गेम को चैंपियन शिप में शामिल किया गया, जहां भारत एशिया का सरताज बना। इसके। इसके बाद 1990 में चीन में आयोजित एशियन गेम्स में Kabaddi को शामिल किया गया और तब से लेकर 2010 तक भारत सभी आयोजित एशियन गेम्स में गोल्ड मेडल हासिल कर चुका है।
Also Read: Khel Kud Ka Mahatva