इन सारी बातों पर आज के आर्टिकल में चर्चा करेंगे। Jaaniye javelin throw ke baare mein explained in Hindi
Neeraj Chopra ने टोक्यो ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीतकर भारत का नाम रौशन तो किया ही है लेकिन इसके साथ ही उन्होंने भारत को एथलेटिक्स में पहला स्वर्ण पदक भी दिलाया है| क्या आपको इसके बारे में मालूम है कि Neeraj Chopra ने टोक्यो ओलंपिक ने जो भाला फेंका था, उसकी कीमत क्या है? उसका वजन कितना था? Neeraj Chopra ने किस तकनीक की मदद से भाला फेंककर रिकॉर्ड बना दिया?
Javelin Throw In Hindi Explained: Neeraj Chopra के भाले की कीमत
टोक्यो ओलंपिक में Neeraj Chopra ने जिस भाले का इस्तेमाल किया था उसकी कीमत करीब 1.10 लाख के आसपास है। इस तरह के भाले Neeraj Chopra के पास चार हैं, जिससे वो हमेशा अभ्यास करते हैं।
Neeraj Chopra के भाले का Weight
पुरुषों के भाले की लंबाई 2.6 से 2.7 मीटर के बीच होती है और इसका वजन 800 ग्राम होता है जबकि महिलाओं के भाले की लंबाई 2.2 से 2.3 मीटर होती है और वजन 600 ग्राम होता है।
Neeraj Chopra की Training पर 7 करोड़ हुए खर्च
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक Neeraj Chopra की प्रैक्टिस, ट्रेनिंग, ट्रीटमेंट और अन्य सुविधाओं पर 7 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं। साल 2016 के रियो ओलंपिक में SAI ने 52.65 लाख रुपये खर्च किए हैं जबकि ACTC के तहत 1.29 करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च किए गए हैं।
भाला फेंकने के पीछे का विज्ञान
किसी भी प्रतियोगिता में शारीरिक क्षमता के साथ विज्ञान का भी हाथ होता है। भाला फेंकने के पीछे विज्ञान है जिससे भाला काफी दूर तक जाता है। भाला फेंकने के पीछे का विज्ञान यह है कि आपको अपनी गति, हवा की गति, दिशा, एयरोडायनेमिक्स, फेंकने का एंगल, साथ ही भाला फेंकते समय उसे किस गति पर फेंकना है और कितने एंगल पर इसपर खुद का नियंत्रण, यह सब देखना पड़ता है। अगर इसमें से एक भी चीज बिगड़ी तो मामला पलट सकता है।
भाला फेंकने के स्टेप
पहला तेजी से दौड़ना और क्रॉसओवर स्टेप, यानी 6 से 10 कदम तेजी से दौड़कर दो तीन कदम क्रॉसओवर स्टेप लेना होता है। इस 6 से 10 कदम को 5 से 6 मीटर प्रति सेकेंड की दर से दौड़ना पड़ता है मतलब 20 KM प्रतिघंटा जबकि भाला फेंका जाता है 28-20 मीटर प्रति सेकेंड यानी 100 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से। यह गति आखिरी के दो क्रॉसओवर स्टेप पर मिलती है।
सेकेंड लास्ट क्रॉसओवर स्टेप को इंपल्स स्टेप कहते हैं।
आखिर का को स्टेप होता है जिसे डेलिवरी स्टेप कहते हैं, उसमें एथलीट अपने रनअप से बनी गति और ताकत का उपयोग करके भाला को फेंकता है। इसमें शरीर की सारी ऊर्जा को हाथों में ट्रांसफर करने का प्रयास किया जाता है जिससे की भाला दूर तक जाए। मतलब आपके शरीर की ऊर्जा नीचे से ऊपर कंधे तक जाती है, उसके बाद वही ऊर्जा की लहर कुहनियों की तरफ से होते हुए भाले तक भेजी जाती है।
इसको शुरुआत तब होती है जब एथलीट अपने पिछले पैर पर रुकता है। अगला पैर और भाला ऊपर की तरफ उठाता है जबकि भाले की नोक आंखों की सीध में होती है।
Javelin Throw Rules And Regulations In Hindi: भाला फेंकते समय 32 से 36 डिग्री का कोण
शरीर के ऊपरी हिस्से का मूवमेंट हो रहा होता है। अगर एथलीट चाहे तो नीचे झुककर ऊर्जा को संतुलित कर सकता है। भाला फेंकने के समय उसका कोण यानी एंगल बहुत जरूरी होता है। भाला फेंकते समय उसका सिरा 32 से 36 डिग्री के कोण पर होना चाहिए जिसमें तीन एंगल्स को देखा जाता है। एंगल ऑफ अटैक, एंगल ऑफ एटीट्यूट और एंगल ऑफ वेलोसिटी वेक्टर।
क्या हैं यह तीन एंगल्स
एंगल ऑफ अटैक का अर्थ है, एथलीट के द्वारा तय दिशा और गति में फेंका गया भाला यानी सही दिशा और गति है या नहीं। इसके बाद भाले का एंगल सही है या नहीं यानी 32 से 36 डिग्री के बीच है कि नहीं। इसे देखने के लिए एथलीट एंगल ऑफ एटीट्यूट की प्रैक्टिस करते हैं मतलब भाले का जमीन से ओरिएंटेशन कैसा है।
अंत में एथलीट इस बात का ख्याल रखते हैं कि एंगल ऑफ वेलोसिटी वेक्टर यानी भाले के उड़ान मार्ग के दौरान भाले के बीच का मास संतुलित रहता है या नहीं मतलब भाला उड़ान के समय हमेशा किसी कोण पर तो नहीं है। उसका केंद्र जीरो डिग्री पर होना चाहिए।
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