नई दिल्ली, 10 जुलाई 2025: स्वीडन के भारत में दूतावास में दो प्रेरणादायक फुटबॉल टीमों – हरियाणा अंडर-15 बालिका टीम और स्पेशल ओलंपिक्स भारत बालक टीम – के लिए एक उल्लासपूर्ण सम्मान समारोह आयोजित किया गया
ये प्रतिभाशाली युवा खिलाड़ी स्वीडन के गोथनबर्ग में होने वाले प्रतिष्ठित गोथिया कप 2025 और गोथिया स्पेशल ओलंपिक्स ट्रॉफी में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे।
गोथिया कप 2025 इस प्रतिष्ठित टूर्नामेंट का 50वां संस्करण है, जिसमें 70 से अधिक देशों की 1900 से अधिक टीमें हिस्सा लेंगी – यह दुनिया का सबसे बड़ा और समावेशी युवा फुटबॉल टूर्नामेंट है। यह सिर्फ खेल नहीं, बल्कि वैश्विक एकता, सांस्कृतिक संवाद और युवाओं के सशक्तिकरण का सशक्त मंच है।
इस आंदोलन के केंद्र में है एसकेएफ की ‘मीट द वर्ल्ड’ पहल, जो दुनियाभर में युवाओं को एक अंतरराष्ट्रीय मंच पर प्रतिस्पर्धा, संवाद और विकास का अवसर देकर खेल के ज़रिए समानता और समावेशन को बढ़ावा देती है।
इस समारोह में कई प्रमुख अतिथि मौजूद रहे: स्वीडन के भारत में राजदूत श्री यान थेस्लेफ़, हरियाणा सरकार में खेल एवं युवा सशक्तिकरण मंत्री डॉ. गौरव गौतम, स्पेशल ओलंपिक्स भारत की अध्यक्ष एवं एशिया पैसिफिक सलाहकार परिषद की चेयरपर्सन डॉ. मल्लिका नड्डा, कल्याण चौबे, अध्यक्ष, अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ, प्रसार भारती के अध्यक्ष श्री नवनीत सहगल, स्पेशल ओलंपिक्स गुजरात की मुख्य संरक्षक सुश्री गीता मांडविया, हरियाणा फुटबॉल संघ के मुख्य संरक्षक एवं मानव रचना शैक्षणिक संस्थानों के उपाध्यक्ष डॉ. अमित भल्ला, द ललित हॉस्पिटैलिटी ग्रुप की चेयरपर्सन डॉ. ज्योत्सना सूरी, तथा एसकेएफ इंडिया एवं साउथईस्ट एशिया के लीगल, सस्टेनेबिलिटी एवं कॉर्पोरेट अफेयर्स निदेशक श्री रंजन कुमार, खेल संगठनों एवं संस्थागत साझेदारों से जुड़े वरिष्ठ पदाधिकारी भी उपस्थित रहे।
श्री यान थेस्लेफ़ ने कहा:“गोथिया कप केवल एक टूर्नामेंट नहीं, बल्कि खेलों की एकजुट करने वाली भावना का उत्सव है। यह संस्कृतियों को जोड़ने का माध्यम है। भारत की भागीदारी यह दर्शाती है कि खेल किस तरह युवाओं को सशक्त कर, समावेशन को बढ़ावा देकर सीमाओं से परे समुदायों को जोड़ सकता है। हमें गर्व है कि हम इन होनहार खिलाड़ियों का स्वीडन में स्वागत कर रहे हैं। इनका समर्पण, जुनून और खेल भावना प्रेरणादायक है – ये अपने साथ पूरे देश की उम्मीदें और सपने लेकर आ रहे हैं।”
डॉ. गौरव गौतम ने कहा: एक समय था जब हरियाणा को उसके लिंग अनुपात के लिए जाना जाता था। आज ये बेटियां वही कहानी अपने खेल के ज़रिए बदल रही हैं – शब्दों से नहीं, फुटबॉल बूट्स से। ग्रामीण हरियाणा से निकलकर स्वीडन में प्रतिष्ठित गोथिया कप में भाग लेना हरियाणावासियों के लिए गर्व का क्षण है। ये सिर्फ एक खेल नहीं खेल रहीं, ये हर उस लड़की की तरफ से खेल रही हैं जिसने कभी सपना देखा था। हरियाणा उनके साथ है – विश्वास और गर्व के साथ।”
उन्होंने आगे कहा “स्पेशल ओलंपिक्स भारत में हम मानते हैं कि खेल सोच बदल सकते हैं, सीमाएं तोड़ सकते हैं और स्थायी परिवर्तन ला सकते हैं। हमारे खिलाड़ी सिर्फ जर्सी नहीं पहनते, वे देश की उम्मीदें और अपने अदम्य साहस की कहानियां भी साथ लेकर जाते हैं।”
डॉ. मल्लिका नड्डा ने कहा“हमारी इच वन रीच वन” सोच एक नारा नहीं, एक प्रतिबद्धता है – हर बच्चे, हर क्षमता और हर अवसर को अपनाने वाली समाज बनाने की। मैंने स्वयं देखा है कि ये खिलाड़ी जब खेलते हैं तो उनमें आत्मविश्वास और उद्देश्य की झलक होती है। हम एसकेएफ ग्रुप जैसे भागीदारों के आभारी हैं जो इस सफर में हमारे साथ हैं। हम इनके साथ जुड़कर गौरवान्वित महसूस करते हैं और आशा करते हैं कि ये स्वीडन में तिरंगा ऊंचा करें।”
डॉ. अमित भल्ला ने कहा“यह केवल खेल का दिन नहीं, बल्कि भारत की परिवर्तनशील यात्रा का अहम अध्याय है। ग्रामीण हरियाणा की बेटियां और विशेष बच्चों का भारतीय जर्सी पहनना गर्व और विनम्रता का क्षण है। यह ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ, बेटी खिलाओ’ को नारे से जीवन का हिस्सा बनाता है। ये खिलाड़ी सिर्फ टीमों का प्रतिनिधित्व नहीं कर रहे, बल्कि नए भारत की आकांक्षाओं को लेकर चल रहे हैं – एक ऐसा भारत जो समावेशन, गरिमा और समान अवसर में विश्वास करता है। महानता विशेषाधिकार से नहीं, बल्कि विश्वास, संघर्ष और सही मंच से जन्म लेती है। आज भारत के बेटे-बेटियां दुनिया को दिखा रहे हैं कि जब सपनों को भरोसा और प्रतिभा को मकसद मिलता है, तो क्या कुछ संभव है।”
उन्होंने जोड़ा“हमारा उद्देश्य हमेशा यही रहा है – पहुंच बनाना, हाशिये पर खड़े बच्चों को आगे लाना, उन्हें उनकी क्षमताओं से परिचित कराना और दुनिया में अपनी जगह बनाने में मदद करना। आज जब हम इन बदलाव के वाहकों को स्वीडन के लिए रवाना कर रहे हैं, यह हमें याद दिलाता है कि हम जो कर रहे हैं, उसका असली उद्देश्य क्या है।”
श्री रंजन कुमार ने कहा“हमें विश्वास है कि खेल जीवन बदल सकते हैं, सीमाएं मिटा सकते हैं और महानता की प्रेरणा दे सकते हैं। हम इन खिलाड़ियों के साथ इस टूर्नामेंट से आगे भी जुड़ना चाहते हैं – उन्हें कौशल विकास में सहयोग देना, उन्हें जीवन में आगे बढ़ने में मदद करना और उनके सपनों का हिस्सा बनना चाहते हैं। यह सिर्फ एक पल नहीं, बल्कि एक लंबा साथ है।”
खिलाड़ियों की बातों ने सबका दिल छू लिया:
ऋतिका, हरियाणा टीम की डिफेंडर ने कहा“जहां से मैं आयी हूं, वहां लड़कियां फुटबॉल नहीं खेलतीं – वे किनारे खड़ी होकर देखती हैं। आज मैं पहली बार हवाई जहाज में बैठूंगी और अपने देश का प्रतिनिधित्व करूंगी। ऐसा मौका रोज़ नहीं आता। मैं आभारी हूं और अपना सर्वश्रेष्ठ दूंगी। मैं हर लड़की से कहना चाहती हूं – अगर मैं कर सकती हूं, तो तुम भी कर सकती हो।”
योगेश, स्पेशल ओलंपिक्स भारत के खिलाड़ी, जो 2024 में भी गोथिया कप में खेले थे, ने कहा:
“पिछले साल मैंने पहली बार भारत के बाहर मैच खेला। मैंने उन देशों से दोस्त बनाए, जिनके बारे में मैंने पहले कभी सुना भी नहीं था। मैंने सीखा कि मैं कितना मजबूत हो सकता हूं। इस बार मैं और आत्मविश्वास के साथ लौट रहा हूं – भारत के लिए जीता गया खिताब बचाने के लिए। इस टूर्नामेंट ने मुझे नया नजरिया और नया उद्देश्य दिया है – अब लोग मुझे मेरी खेल प्रतिभा के लिए पहचानते हैं।”
इस वर्ष की शुरुआत में, एसकेएफ इंडिया ने ‘मीट द वर्ल्ड टूर्नामेंट’ का आयोजन स्पेशल ओलंपिक्स भारत, हरियाणा फुटबॉल संघ के सहयोग से किया था, जिसमें मानव रचना शैक्षणिक संस्थान ट्रेनिंग पार्टनर और IWill मानसिक स्वास्थ्य पार्टनर रहे। इस साझेदारी ने भारत के कोने-कोने से टीमों को एक मंच दिया। प्रशिक्षण, मेंटरशिप और समर्थन के ज़रिए, एसकेएफ और उसके साझेदार ऐसे युवाओं को पंख दे रहे हैं जिन्होंने कभी उड़ने की कल्पना भी नहीं की थी।
आज जब ये टीमें स्वीडन के लिए रवाना हो रही हैं, वे केवल फुटबॉल किट ही नहीं – बल्कि पूरे देश की उम्मीदें और गर्व अपने साथ लेकर जा रही हैं।


